नॉन-इक्विटी फंड्स (डेट फंड्स):
- होल्डिंग पीरियड:
- 36 महीनों से कम: शॉर्ट-टर्म
- 36 महीने या अधिक: लॉन्ग-टर्म
- टैक्स दरें:
- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन: व्यक्ति की इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन: 12.5% टैक्स, साथ में इंडेक्सेशन बेनिफिट्स।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि टैक्स दरें और होल्डिंग पीरियड्स को लेटेस्ट रेगुलेशंस के अनुसार अपडेट किया गया है। उदाहरण के लिए: इक्विटी फंड्स पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स पहले 10% था, जिसे बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है, और टैक्स-फ्री लिमिट ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दी गई है। इसी तरह, इक्विटी फंड्स पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स पहले 15% था, जिसे बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। ये बदलाव 31 जनवरी 2018 के बाद किए गए सभी इन्वेस्टमेंट्स पर लागू होंगे।
नॉन-इक्विटी फंड्स के लिए, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स दर 20% से घटाकर 12.5% कर दी गई है, और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स पहले की तरह लागू रहेंगे। वहीं, 36 महीनों से कम होल्डिंग पीरियड वाले निवेश पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स लगेगा, जो इन्वेस्टर की इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होगा।
इन्वेस्टर्स को म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट से जुड़े अपडेटेड टैक्स नियमों को ध्यान में रखकर अपने फाइनेंशियल डिसीज़न लेने चाहिए। अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो पर इन बदलावों का प्रभाव समझने के लिए किसी टैक्स एक्सपर्ट या फाइनेंशियल अडवाइजर से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।
अस्वीकरण: म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। स्कीम्स के नेट एसेट वैल्यू (NAVs) बाजार की स्थितियों के अनुसार घट-बढ़ सकते हैं।.