जब कोई म्यूच्यूअल फंड कंपनी बिक जाती है या बंद हो जाती है, किसी भी मौजूदा निवेशक के लिए ये एक गंभीर चिता का विषय हो जाता है| चूंकि म्यूच्यूअल फंड्स SEBI द्वारा विनियमित होते हैं, इस प्रकार की संभावनाओं से निपटने के लिए प्रक्रिया भी निर्धारित हैं|
किसी म्यूच्यूअल फंड कंपनी के बंद होने की स्थिति में, फंड के ट्रस्टीस समापन हेतु SEBI को प्रस्ताव भेज उनका अनुमोदन ले सकते हैं या स्वयं SEBI ही समापन के लिए फंड को सीधे निर्देश दे सकता है| इन स्थितियों में, समापन के पहले, आखिरी उपलब्ध नेट एसेट वैल्यू (NAV) के आधार पर निवेशकों की रकम लौटा दी जाती है|
अगर म्यूच्यूअल फंड को किसी और म्यूच्यूअल फंड संस्था द्वारा अधिकृत किया जा रहा है, तब दो विकल्प होते हैं| एक, स्कीम अपनी पहली रूपरेखा के मुताबिक़ ही कायम रहती है, सिर्फ अब एक नयी संस्था उसकी देखरेख करती है| अथवा, हासिल किया गया स्कीम नए फंड संस्था के स्कीमों के साथ विलय कर लिए जाते हैं| सब एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के लिए विलय और अधिग्रहण और स्कीम स्तर के विलय हेतु SEBI का अनुमोदन अनिवार्य है|
इन सभी स्थितियों में, सभी निवेशकों को बगैर किसी भार वहन के, स्कीम से निकलने का विकल्प दिया जाता है| फंड संस्था या निवेशक द्वारा की गयी हर क्रिया प्रचलित नेट एसेट वैल्यू पर होती है|
अगर म्यूचुअल फंड कंपनी बंद हो जाए या बेच दी जाए तो क्या होगा?
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