ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स में कुछ समय बाद निवेशक बिना किसी खर्च के अपने यूनिट्स रिडीम कर सकते हैं। अगर कोई निवेशक इस निर्धारित अवधि से पहले अपने यूनिट्स रिडीम करना चाहता है, तो एग्ज़िट लोड लगता है। अगर निवेशक फंड में निर्दिष्ट अवधि पूरी करने से पहले अपना निवेश बेचते हैं तो म्यूचुअल फंड्स एग्ज़िट लोड लगा सकते हैं। यह छोटी अवधि के निवेशकों को ऐसे फंड्स में निवेश करने से रोकने के लिए किया जाता है जिनमें लंबी-अवधि तक निवेश को होल्ड करने की ज़रूरत होती है। आम तौर पर लिक्विड फंड्स में एग्ज़िट लोड नहीं लगता।
अगर स्कीम जानकारी दस्तावेज़ में दिए गए समय से पहले यूनिट्स रिडीम किए जाते हैं तो NAV के प्रतिशत के रूप में एग्ज़िट लोड लगता है। मान लीजिए, किसी स्कीम में एक साल से पहले रिडीम करने पर 1% एग्ज़िट लोड लगता है। अगर स्कीम की NAV 100 रु. है और आप एक साल से पहले अपनी होल्डिंग को रिडीम करते हैं, तो आपको अपनी होल्डिंग के लिए केवल 99 रु. मिलेंगे क्योंकि समय से पहले रिडेम्प्शन के लिए फंड हाउस द्वारा 1% रकम की कटौती की जाएगी।
आपने जिस प्रकार का निवेश किया है और आप कितने समय तक उस निवेश में बने रहे, इस पर निर्भर करते हुए आपको कैपिटल गेन्स टैक्स भी चुकाना होगा, यानि शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स। इक्विटी से जुड़ी ट्रांज़ैक्शन्स पर STT (सिक्योरिटीज़ ट्रांज़ैक्शन टैक्स) भी लगता है। हर बार जब आप इन फंड्स के यूनिट्स खरीदते हैं, तो आप STT चुकाते हैं जो आपकी ट्रांज़ैक्शन के खर्च को बढ़ाता है।