जब आप एक ‘सामान्य’ पिज़्ज़ा के बजाय एक ‘बड़ा’ पिज़्ज़ा ऑर्डर करते हैं, तो क्या आप दोनों के स्वाद में कोई फ़र्क महसूस करते हैं? बेशक नहीं! दोनों समान विधि और प्रक्रिया का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं। केवल उनके आकार और कीमत में फ़र्क होता है। भले ही आप मेनू में से फ़ार्महाउस पिज़्ज़ा के किसी भी आकार के लिए ऑर्डर दें, आप उसके लिए एक जैसे स्वाद का अनुभव करते हैं।
म्यूचुअल फंड्स भी पिज़्ज़ा की तरह ही एक जैसा स्वाद पेश करते हैं। जब आप कोई फंड खरीदते हैं, तो फंड के एक यूनिट के मालिक बनने के लिए आप उसकी कीमत, यानि NAV, चुकाते हैं। एक बड़े फंड, जिसमें ज़्यादा निवेशक अपनी रकम निवेश करते हैं, का एसेट बेस (परिसंपत्ति का आधार) अधिक होगा और इसलिए उसकी NAV ज़्यादा होगी। लेकिन जब वही फंड लॉन्च किया गया था तो उसकी NAV काफी कम रही होगी क्योंकि किसी फंड की NAV समय के साथ बढ़ती है जब ज़्यादा निवेशक उस फंड में अपनी रकम निवेश करते हैं और उसका आकार बढ़ता है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि फंड की विधि या उसके काम करने का तरीका बदल गया है?
अगर फंड के निवेश का उद्देश्य नहीं बदलता, तो विभिन्न एसेट क्लासेज़ (परिसंपत्ति वर्गों) में आवंटन तथा सिक्योरिटीज़ (प्रतिभूतियों) के प्रकार और फंड प्रबंधन प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होता। इसलिए आपका रिटर्न अनुभव भी समान रहेगा भले ही फंड की NAV जो भी हो, ठीक वैसे ही जैसे आपके फ़ार्महाउस पिज़्ज़ा के आकार के बावजूद उसकी स्लाइस का स्वाद नहीं बदलता।