जबकि अधिकांश म्यूचुअल फंड केवल भारत में निवेश करते हैं, थोड़ी सी कुछ ऐसी भी योजनाएं हैं जो विदेशों में निवेश करती हैं।
सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं को भारत में निवेशकों को यूनिट्स प्रस्तावित करने से पहले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड सेबी से अनुमोदन की जरूरत होती है। योजना जानकारी दस्तावेज (एसआईडी) की जांच करने के बाद सेबी अनुमोदन देती है, जो स्पष्ट रूप से योजना के निवेश उद्देश्यों, निवेश वाली प्रतिभूतियों के प्रकार, देश व क्षेत्र और प्रत्येक प्रतिभूति से जुड़े जोखिम की व्याख्या करता है।
वास्तव में किसी योजना के लिए विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश के दो तरीके हैं। योजनाएं या तो विदेशी एक्सचेंजों में सूचीबद्ध या व्यापार की जानी वाली प्रतिभूतियों को खरीद सकती है या ऐसी अन्य विदेशी म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर सकती हैं जिनके पास विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए पृथक सेबी अनुमोदन के बाद निवेश वाला पोर्टफोलियो हो। किसी भी तरह से योजना में उस पोर्टफोलियो में विदेशी रंग होता है।
विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश के बाद, भारतीय म्यूचुअल फंड को दैनिक नेट एसेट मूल्य प्रदान करना होता है, निवेश सूची खुलासे को सुनिश्चित करना होता है, तरलता आदि प्रदान करनी होती है। सारांश में उनको सेबी विनियमों का पालन सुनिश्चित करना होता है। ऐसी योजनाओं के पास केवल विदेशी प्रतिभूति घटक में निवेशों के लिए समर्पित पृथक निधि प्रबंधक होने चाहिए।