म्यूचुअल फंड, प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं और प्रतिभूतियों की प्रकृति योजना के उद्देश्य पर निर्भर करती है।
उदाहरण के लिए, कोई इक्विटी या ग्रोथ फंड कंपनी शेयरों में निवेश करेगा। कोई लिक्विड फंड डिपॉजिट के सर्टीफिकेट और कॉमर्शियल पेपरों में निवेश करेगा।
ये सभी प्रतिभूतियां हालांकि 'बाज़ार' में ट्रेड होती हैं। कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा खरीदे व बेचे जाते हैं, जो पूंजी बाज़ार का हिस्सा होते हैं। इसी तरह से ऋण प्रपत्र जैसे सरकारी प्रतिभूतियां, स्टॉक एक्सचेंज या NDS कहे जाने वाले विशेषज्ञता सिस्टम के माध्यम से ट्रेड की जा सकती हैं। ये प्रतिभूतियों की खरीदारी व बिक्री के लिए बाज़ार की तरह काम करते हैं, जिसमें खरीदार और बेचने वाले विविध प्रकार के होते हैं। इसलिए खरीद व बिक्री की पूरी प्रक्रिया और मूल्य 'बाज़ार' द्वारा निर्धारित होती है।
किसी प्रतिभूति का मूल्य ‘बाज़ार शक्तियों’ पर निर्भर करता है और बाज़ार किसी समाचार या घटना पर, जिसमें कि बाज़ार की दिशा की पूर्व-जानकारी कठिन होती है, छोटी अवधि में किसी शेयर या प्रतिभूति के मूल्य का पूर्वानुमान असंभव होता है। इसकी दिशा को प्रभावित करने वाले बहुत से कारक व खिलाड़ी होते हैं।
इस प्रकार से प्रत्येक निवेशक को जानना चाहिए कि 'बाज़ार' नाम की सबसे महत्वपूर्ण इकाई की ओर से प्रतिभूति के मूल्य के साथ हमेशा कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। उनको यह भी जानना चाहिए कि म्यूचुअल फंड को यथासंभव जोखिम को कम करने के लिए ही डिजाइन किया गया है।