अगर आप सोच रहे हैं कि मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप फंड क्या होते हैं, तो आप अक्टूबर 2017 में जारी हुआ SEBI का प्रोडक्ट कैटिगराइजेशन सर्कुलर देख सकते हैं जो जून 2018 में लागू हुआ था। इस सर्कुलर ने मल्टीकैप फंड्स को अपने एसेट का 65% लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के शेयरों में इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने की अनुमति दी थी। सितंबर 2020 में, SEBI ने मल्टी कैप फंड्स के निवेशकों को ज़्यादा विविधता देने के उद्देश्य से लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों में हर एक में कम से कम 25% का एक्सपोजर बनाए रखने के लिए मल्टी कैप फंड्स को अनिवार्य कर दिया। मगर, यह फंड मैनेजर के अपने नज़रिए के अनुसार मौकों का लाभ उठाने की क्षमता को सीमित करता है क्योंकि कभी-कभी किसी खास सेगमेंट को कम करने की ज़रूरत पड़ सकती है जिसके खराब प्रदर्शन की उम्मीद होती है जिसका सीधा मतलब होगा न्यूनतम 25% ऐलोकेशन आदेश का उल्लंघन करना।
इसलिए नवंबर 2020 में, SEBI ने फ्लेक्सी कैप फंड्स की शुरुआत की, जो मल्टी कैप फंड्स के समान होते हैं, पर उनमें फ्लेक्सिबल निवेश कर सकते हैं। मल्टीकैप और फ्लेक्सीकैप फंड के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि फ्लेक्सीकैप में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के बीच ऐलोकेशन बदलने की फ्लेक्सिबिलिटी है, साथ ही यह भी निश्चित करता है कि इसका 65% एसेट ऐलोकेशन इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में हुआ है। उदाहरण के लिए, अगर फंड मैनेजर को आर्थिक अनिश्चितता के दौरान लगता है कि स्मॉल कैप में कम निवेश किया जाना चाहिए, तो वह ऐलोकेशन को ज़ीरो तक कम कर सकता है और लार्ज कैप/मिड कैप में ऐलोकेशन बढ़ा सकता है। लेकिन मल्टी कैप फंड इस तरह के डायनेमिक तरीके से अपना पोर्टफोलियो मैनेज नहीं कर सकता है।
बाजार साइकल पर ध्यान दिए बिना स्मॉल कैप, मिड कैप और लार्ज कैप कंपनियों में फिक्स्ड एलोकेशन के साथ सारे मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में निवेश करने वाले निवेशक मल्टी कैप फंड चुन सकते हैं। जो लोग फ्लेक्सिबल निवेश रणनीति पसंद करते हैं जिसमें बाजार की संभावनाओं के आधार पर पूरे मार्केट कैप में एक्सपोजर को बढ़ा/घटा सकते हैं, वे फ्लेक्सी कैप फंड्स चुन सकते हैं।