म्यूचुअल फंड्स आजकल का पसंदीदा निवेश विकल्प है। इसलिए, यह जानना ज़रूरी है कि भारत में म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री को कौन नियंत्रित करता है। भारत में म्यूचुअल फ़ंड के सभी पहलुओं को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड या सेबी नियंत्रित करता है। इसने म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में स्पष्टता, निष्पक्षता और निवेशक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम और कानून बनाए हैं।
सेबी की स्थापना 1988 में हुई थी और इसकी शक्ति कानून द्वारा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992 से प्राप्त होती है।
म्यूचुअल फ़ंड, एक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया जाता है, जिसमें स्पॉन्सर, ट्रस्टी, एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) और संरक्षक होते हैं। ट्रस्ट की स्थापना, एक या उससे अधिक स्पॉन्सर द्वारा की जाती है, जो किसी कंपनी के प्रमोटर की तरह होते हैं। म्यूचुअल फ़ंड के ट्रस्टी यूनिटहोल्डर के लाभ के लिए इसकी संपत्ति रखते हैं। सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त एएमसी कई प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश करके फंड्स का प्रबंधन करती है। संरक्षक, जिसे सेबी के साथ पंजीकृत होना ज़रूरी है, फ़ंड की अलग-अलग योजनाओं की प्रतिभूतियों को अपने संरक्षण में रखता है। ट्रस्टी के पास एएमसी के निरीक्षण और निर्देशन की सामान्य शक्ति होती हैं। वे म्यूचुअल फ़ंड द्वारा सेबी विनियमों के प्रदर्शन और अनुपालन की निगरानी करते हैं। सेबी विनियमों के अनुसार ट्रस्टी कंपनी या ट्रस्टी बोर्ड के कम से कम दो-तिहाई निदेशक स्वतंत्र होने चाहिए यानी वे स्पॉन्सर से जुड़े नहीं होने चाहिए। साथ ही, एएमसी के 50% निदेशक स्वतंत्र होने चाहिए।
सेबी आमतौर पर निम्नलिखित का प्रभारी होता है:
पंजीकरण और अनुमोदन: म्यूचुअल फ़ंड को सेबी के साथ पंजीकृत होना पड़ता है, यह अपनी प्रत्येक योजना के तहत जनता के फंड्स को इस्तेमाल कर सकता है।
निवेशक सुरक्षा: सेबी निष्पक्ष और नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करता है, जिससे धोखाधड़ी की गतिविधियों और हितों के टकराव को रोका जा, सके जो निवेशकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रकटीकरण की शर्तें: म्यूचुअल फ़ंड को सेबी द्वारा समय-समय पर निर्धारित विशिष्ट प्रकटीकरण मानदंडों का पालन करना ज़रूरी है।
आचार संहिता: सेबी, नैतिक व्यवहार और पेशेवर मानकों को सुनिश्चित करने के लिए म्यूचुअल फ़ंड, फ़ंड मैनेजर और म्यूचुअल फ़ंड इंडस्ट्री में शामिल अन्य प्रमुख कर्मियों के लिए एक आचार संहिता स्थापित करता है।
समय-समय पर समीक्षा और अपडेट: सेबी यह सुनिश्चित करता है कि नियामक ढांचा बदलती बाजार स्थितियों के प्रति मजबूत और उत्तरदायी बना रहे।
लगातार निगरानी और निरीक्षण: सेबी नियामक मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए म्यूचुअल फ़ंड की लगातार निगरानी और निरीक्षण करता है। इसके पास किसी भी उल्लंघन के मामले में सुधारात्मक कार्रवाई करने, जुर्माना लगाने या निर्देश जारी करने का अधिकार है।
ऊपर दिए गए सभी कार्य, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड द्वारा किये जाते हैं।प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूतियों के बाजार के विकास को बढ़ावा देना और उसे ऐसे उपायों द्वारा विनियमित करना, जो वह उचित समझे।
अस्वीकरण
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।