निवेश के दो प्रसिद्ध विकल्प पीपीएफ़ (सार्वजनिक भविष्य निधि) और म्यूचुअल फ़ंड हैं। इन दोनों निवेश विकल्पों के अपने अलग-अलग अंतर हैं।
सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ़), निवेश का एक दीर्घकालिक विकल्प है, और यह भारत सरकार द्वारा समर्थित है। पीपीएफ़ निवेशकों को निश्चित रिटर्न देता है। यह ब्याज दर भारत सरकार द्वारा हर तिमाही में निर्धारित की जाती है। इसमें निवेश की एक निश्चित अवधि होती है, जिसमें प्रति वर्ष न्यूनतम निवेश राशि 500 रुपये और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये होती है। पीपीएफ़ की मूल राशि, उस पर मिलने वाला ब्याज और परिपक्वता राशि पूरी तरह से कर मुक्त है। पीपीएफ़ में 15 साल की तय अवधि होती है, कुछ मामलों में निवेश करने के 7वें साल से ही समय से पहले निकासी संभव है। पीपीएफ़, निवेश का एक कम जोखिम वाला विकल्प है।
दूसरी ओर, म्यूचुअल फ़ंड पेशेवर रूप से प्रबंधित निवेश फ़ंड हैं, जो कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं। एक म्यूचुअल फ़ंड कई वर्गों, जैसे - स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करता है। म्यूचुअल फ़ंड को एएमसी (परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों) द्वारा स्थापित और प्रबंधित किया जाता है और निवेश का रिटर्न उन अंतर्निहित संपत्तियों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा जिनमें इसे निवेश किया गया है।
पीपीएफ़ बनाम म्यूचुअल फ़ंड - मुख्य अंतर हैं:
- पीपीएफ़ एक निश्चित रिटर्न देता है, जबकि म्यूचुअल फ़ंड रिटर्न बाजार की गतिविधियों पर आधारित होता है।
- पीपीएफ में तय अवधि होती है, जबकि कुछ म्यूचुअल फ़ंड में अगर निवेशक एक विशिष्ट अवधि से पहले निवेश रिडीम करता है, तो एक्जिट लोड होता है। और कुछ प्रकार के म्यूचुअल फ़ंड में तय/लॉक-इन अवधि होती है।
- पीपीएफ़ पर धारा 80सी के तहत कर छूट है और पीपीएफ़ पर मिलने वाला ब्याज कर-मुक्त है। सिर्फ़ ईएलएसएस म्यूचुअल फ़ंड में धारा 80सी के तहत कर छूट मिलती है, हालांकि म्यूचुअल फ़ंड से मिलने वाले रिटर्न पर पूंजीगत लाभ कर लगता है।
- पीपीएफ़ में रिटर्न की गारंटी है, और वे सरकार द्वारा समर्थित हैं। म्यूचुअल फ़ंड पर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है और यह बाजार जोखिमों के अधीन है।
हालांकि, कौन-सा निवेश ज़्यादा सही है, इसका निर्धारण निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों और उद्देश्यों पर निर्भर करता है।
अस्वीकरण
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।