कल्पना कीजिए कि आपने फ्लाई इंडिया एयरलाइंस की बंगलुरु से चेन्नई की सुबह 8 बजे की फ्लाइट बुक की है। आपको एहसास होता है आपने गलत फ्लाइट बुक की है और आपको फिर से बुक करना होगा। आपको क्या लगता है कि फ्लाई इंडिया किस तरह के चार्ज लगाएगा? आपको अपना मन बदलने की पेनल्टी चुकानी होगी फिर चाहे वही एयरलाइन हो, यात्रा की वही तारीख हो, उसी जगह जाना हो और वही यात्री हो!
म्यूचुअल फंड निवेश के मामले में भी ऐसा ही है, अपने निवेश को उसी स्कीम में एक विकल्प से दूसरे विकल्प में स्विच करना एक तरह से बिक्री (रीडेंप्शन) है इसलिए, इस स्विच पर एक्जिट लोड के साथ ही कैपिटल गेन टैक्स लगेगा जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने समय तक निवेश किया है।
एक ही स्कीम में दो विकल्पों में एनएवी अलग-अलग होती हैं और ये अलग-अलग तरह से संचालित होते हैं।
- ग्रोथ ऑप्शन में फंड के लाभ को फिर से निवेश किया जाता है जिससे आपको चक्रवृद्धि (कंपाउंडिंग) का लाभ मिलता है और यह लंबी अवधि में पैसा बनाने के लिए ज़्यादा उपयुक्त है।
- डिविडेंड ऑप्शन में लाभ को निवेशकों में बाँट दिया जाता है। यह विकल्प केवल उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने म्यूचुअल फंड निवेश से नियमित आय चाहते हैं।
अगर आप ग्रोथ से डिविडेंड फंड में या डिविडेंड से ग्रोथ फंड में बदलाव की ज़रूरत महसूस करते हैं, तो जांच लें कि इसमें कोई एक्जिट लोड या कैपिटल गेन टैक्स लागू तो नहीं होगा।