म्यूचुअल फंड कैसे कार्य करता है?
एक म्युचुअल फंड, स्कीम ऑफर डॉक्यूमेंट्स के अनुसार सिक्योरिटीज़ का एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ख़रीदने हेतु कईं निवेशकों से पैसा एकत्रित करता है। आइए जानें कि म्यूचुअल फंड कैसे कार्य करता है।
जब निवेशक म्यूचुअल फंड स्कीम में यूनिट्स के रूप में पैसा लगाते हैं, तो फंड की पूंजी इकट्ठा होती है। हर एक यूनिट, फंड में आपकी हिस्सेदारी और उसकी आनुपातिक हिस्सेदारी (ओनरशिप) का प्रतिनिधित्व करती है। फंड का उद्देश्य, एक विशेष निवेश रणनीति का पालन करेगा और यह तय करेगा कि फंड किस तरह की सिक्योरिटीज़ में निवेश करेगा, और ये सब बाजार के जोखिमों के अधीन होते हैं।
म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स, आम तौर पर जोखिम को कम करने के लिए कई तरह की सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं। फंड मैनेजर सक्रिय रूप से पोर्टफोलियो का प्रबंधन करता है और अपनी रिसर्च और एनालिसिस के आधार पर निवेश से जुड़े निर्णय लेता है। पैसिव म्यूचुअल फंड्स, बाजार के एक सूचकांक के प्रदर्शन की नकल करते हैं, ताकि अधिकतम रिटर्न प्राप्त हो सके। पैसिव फंड का पोर्टफोलियो, एक निर्दिष्ट बाजार सूचकांक, जैसे कि निफ्टी या सेंसेक्स को निवेशों की संरचना/बनावट एवं अनुपात को ट्रैक किये गए सूचक के साथ अनुकूल रखते हुए, ट्रैकिंग एरर के अधीन, नक़ल करता है।
म्यूचुअल फंड की विशेषताएँ और लाभ
म्यूचुअल फंड की विशेषताएं और लाभ इस प्रकार हैं:
1. पेशेवर प्रबंधन: म्यूचुअल फंड का प्रबंधन विशेषज्ञ पेशेवरों द्वारा किया जाता है, जो रिसर्च के आधार पर समझदारी से निवेश निर्णय लेते हैं।
2. म्यूचुअल फंड आमतौर पर तरल होते हैं: निवेशक, किसी भी बिजनेस दिन पर फंड की लागू नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर म्यूचुअल फंड यूनिट्स खरीद या बेच सकते हैं।
3. विभिन्न प्रकार के फंड्स: अलग-अलग निवेश उद्देश्यों और जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार, म्युचुअल फंड्स के कईं प्रकार होते हैं, जैसे कि इक्विटी स्कीम्स, डेट स्कीम्स, हाइब्रिड स्कीम्स, सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम्स और अन्य स्कीम्स।
4. ऑटोमैटिक निवेश: म्यूचुअल फंड्स, सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से नियमित अंतराल पर ऑटोमैटिक निवेश का विकल्प देते हैं।इससे निवेशकों को रुपये कॉस्ट एवरेजिंग और चक्रवृद्धि का फायदा मिलता है।
[अन्य सुविधाएँ जैसे कि सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान, सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान भी उपलब्ध हैं।]
5. डायवर्सिफिकेशन का लाभ: म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से निवेशकों को सिक्योरिटीज़ के एक विविध पोर्टफोलियो में निवेश करने का मौका मिलता है। इसी वजह से किसी एकल निवेश के खराब प्रदर्शन का असर कम होता है।
6. यह सुविधा प्रदान करता है: म्यूचुअल फंड्स, खरीदने, बेचने और पोर्टफोलियो के प्रबंधन की प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, जिससे निवेशकों का समय और मेहनत बचते हैं।
7. म्युचुअल फंड्स, किफायती निवेश होते हैं: म्यूचुअल फंड्स छोटे निवेशकों को भी कम पूंजी के साथ विविध पोर्टफोलियो में निवेश करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
8. कर लाभ: कुछ म्यूचुअल फंड्स को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे कर लाभ प्रदान कर सकें। उदाहरण के लिए, ईएलएसएस स्कीम्स, लॉक-इन पीरियड के अधीन होते हुए, कर लाभ प्रदान करती हैं।
9. विनियमित वातावरण: म्यूचुअल फंड्स, SEBI के नियामक निरीक्षण के अधीन होते हैं, ताकि निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
10. स्कोर्स: स्कोर्स एक ऑनलाइन शिकायत निवारण प्लेटफ़ॉर्म है, जो SEBI द्वारा प्रदान किया गया है। इसमें निवेशक म्यूचुअल फंड्स से जुड़ी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड्स में कैसे निवेश करें?
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने हेतु स्टेप-दर-स्टेप निर्देश:
स्टेप 1: अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता का मूल्यांकन करें।
पहले यह तय करें कि आप निवेश क्यों करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है। यह भी जानें कि आप कितनी जोखिम लेने के लिए तैयार हैं।
स्टेप 2: म्यूचुअल फंड्स के विभिन्न प्रकारों को समझें।
म्यूचुअल फंड्स के कई प्रकार हैं, जो अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं। अपनी समयावधि, लक्ष्य और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर सही फंड का चयन करें। उदाहरण के लिए:
● इक्विटी स्कीम्स
● डेट स्कीम्स
● हाइब्रिड स्कीम्स
● सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम्स (समाधान उन्मुख स्कीम्स)
● अन्य स्कीम्स
स्टेप 3: अपने निवेश के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म चुनें।
डायरेक्ट प्लान के तहत आप सीधे म्यूचुअल फंड से यूनिट्स खरीद सकते हैं। इसके विपरीत, एक नियमित प्लान के अंतर्गत, म्युचुअल फंड्स यूनिट, म्युचुअल फंड्स वितरकों के माध्यम से भी ख़रीदे जा सकते है।
स्टेप 4: प्लेटफ़ॉर्म के साथ एक खाता खोलें।
अगर आपके पास पहले से खाता नहीं है, तो चुने हुए म्यूचुअल फंड या प्लेटफ़ॉर्म के साथ एक खाता खोलें।
स्टेप 5: म्यूचुअल फंड यूनिट्स खरीदें।
जिस फंड में आप निवेश करना चाहते हैं, उसे चुनें और चुने हुए वितरक या प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अपना ऑर्डर दें।
ऑफर डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें और अगर कोई संदेह हो तो अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।
स्टेप 6: अपने निवेश की निगरानी करें।
नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह आपके लक्ष्यों के अनुरूप है।
स्टेप 7: यदि आवश्यक हो तो अपने निवेश को समायोजित करें।
निर्णय लें कि लाभांश और पूंजीगत लाभ को पुनर्निवेश करना है या उन्हें नकद के रूप में लेना है। यह अति आवश्यक है कि आप बाज़ार के चलन एवं आर्थिक स्थितियों के बारे में अवगत रहें। यदि आप यह अनुमान लगाना चाहते हैं कि आपके म्यूचुअल फंड निवेश का रिटर्न किसी विशेष अवधि के लिए क्या होगा, तो आप म्यूचुअल फंड कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।
स्टेप 8: कर प्रभाव पर विचार करें।
पूंजीगत लाभ के कर प्रभावों से अवगत रहें।
क्या मैं म्यूचुअल फंड से पैसा निकाल सकता हूँ?
हाँ, आप म्यूचुअल फंड से पैसा निकाल सकते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया और इसके परिणाम आपके म्यूचुअल फंड के प्रकार, निवेश की शर्तों और आपके वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करते हैं।
म्यूचुअल फंड्स पर कर प्रभाव
म्यूचुअल फंड पर अर्जित की गई आमदनी पर आमतौर पर दो तरीकों से कर लागू होता है:
a) लाभांश: यह आपके कर स्लैब के अनुसार कर योग्य होता है।
b) पूंजीगत लाभ: पूंजीगत लाभ पर लगने वाला कर, फंड के प्रकार और अवधि पर निर्भर करता है:
फंड के प्रकार
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शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन
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लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन
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इक्विटी फंड्स
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12 महीने से कम अवधि के लिए
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12 महीने और उससे अधिक अवधि के लिए
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डेट फंड्स
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हमेशा शॉर्ट-टर्म
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हाइब्रिड इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स
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12 महीने से कम अवधि के लिए
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12 महीने और उससे अधिक अवधि के लिए
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हाइब्रिड डेट-ओरिएंटेड फंड्स
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हमेशा शॉर्ट-टर्म
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निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड में निवेश आपको कई फायदे देता है और यह एक आसान निवेश विकल्प है। जब आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश की अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो आपको इसके साथ जुड़े बाजार जोखिमों के बारे में भी जागरूक होना चाहिए।
अस्वीकरण
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।