किसी योजना के लिए रिस्क-ओ-मीटर कैसे निकाला जाता है?

How is the Riskometer for a scheme is derived? zoom-icon

रिस्क-ओ-मीटर आपको म्यूचुअल फंड योजना के लिए ‘रिस्क’ की पूरी तस्वीर देने की कोशिश करता है। यह म्यूचुअल फंड योजना की हर एक एसेट क्लास का रिस्क स्कोर निकालकर ऐसा करता है। हर एक डेट या इक्विटी इंस्ट्रूमेंट और दूसरे एसेट्स, जैसे नकदी, सोना और म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में पाए जाने वाले दूसरे फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंट्स को एक खास रिस्क वैल्यू दी जाती है।

इक्विटी के मामले में, पोर्टफोलियो में हर पोजीशन को तीन मुख्य कारकों के आधार पर रिस्क स्कोर दिया जाता है:

  1. मार्केट कैपिटलाइजेशन/बाज़ार पूंजीकरण: स्मॉल-कैप शेयरों में मिड-कैप शेयरों की तुलना में ज़्यादा रिस्क होता है, और मिड-कैप लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में ज़्यादा जोखिम भरे होते हैं। प्रत्येक के लिए रिस्क वैल्यू हर छह महीने में अपडेट की जाती है।
  2. अस्थिरता: जिन शेयरों की कीमत में रोज़ उतार-चढ़ाव होता है उन्हें हाई रिस्क वैल्यू दी जाती है। इसकी गणना पिछले दो सालों में स्टॉक के प्राइस परफ़ोर्मेंस को देखकर की जाती है।
  3. प्रभाव लागत (लिक्विडिटी)1: बड़े लेनदेन में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों की कीमतों में बहुत ज़्यादा अंतर देखा जाता है। इससे प्रभाव लागत और संबंधित रिस्क वैल्यू बढ़ जाती है। यह रिस्क वैल्यू प्रभाव लागत के तीन महीने के औसत पर निर्भर होती है, जिसमें इवैल्यूएट किया जा रहा चालू माह भी शामिल है।

डेट सिक्योरिटीज़ के लिए, रिस्क असेसमेंट में निम्नलिखित कारक शामिल होते हैं:

  1. क्रेडिट रिस्क2: ज़्यादा क्रेडिट रेटिंग (जैसे AAA/G-Sec/SDL/TREPS) के लिए रिस्क वैल्यू कम होती है और निवेश-ग्रेड रेटिंग से नीचे वाली सिक्योरिटीज़ के लिए बढ़ जाती है। यह बदलाव बिना रेटिंग वाली और निवेश-ग्रेड रेटिंग से नीचे वाली सिक्योरिटीज़ में डिफ़ॉल्ट की बढ़ती संभावना के कारण आता है।
  2. ब्याज-दर रिस्क/इंटरेस्ट रेट रिस्क: यह रिस्क पोर्टफोलियो की मैकाले ड्यूरेशन से निर्धारित किया जाता है। लंबी मैच्योरिटी अवधि वाले बॉन्डस में ब्याज दरों में आने वाले उतार-चढ़ाव के प्रति उनकी बढ़ती संवेदनशीलता के कारण उनकी रिस्क वैल्यू ज़्यादा होती हैं।
  3. लिक्विडिटी रिस्क3: लिक्विडिटी रिस्क का असेसमेंट लिस्टिंग स्टेटस, क्रेडिट रेटिंग और डेट इंस्ट्रूमेंट की संरचना जैसे कारकों पर निर्भर करता है।

इसके अतिरिक्त, सेबी ने दूसरी एसेट क्लासों जैसे कैश और नेट करेंट एसेट्स, डेरिवेटिव्स, गोल्ड, विदेशी सिक्योरिटीज़, REITs और InvITs और दूसरे एसेट्स को रिस्क वैल्यू देने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं।

कुल रिस्क स्कोर की गणना म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में हर एक एसेट के रिस्क वैल्यू के औसत से की जाती है।

आखिर में, इस रिस्क स्कोर का इस्तेमाल फंड स्कीम को जोखिम-ओ-मीटर पर एक निश्चित रिस्क लेवल (यानी लो, मॉडरेटली लो, मॉडरेट, मॉडरेटली हाई या हाई) पर मैप करने के लिए किया जाता है।

रिस्क लेबल फंड का औसत रिस्क स्कोर
लो 1
लो टू मॉडरेट 2
मॉडरेट 3
मॉडरेटली हाई 4
हाई 5
वेरी हाई 6 या उससे ज़्यादा

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि हर एक म्यूचुअल फंड योजना के लिए रिस्क-ओ-मीटर का मासिक इवैल्यूएशन किया जाता है। म्यूचुअल फंड्स/ AMCs प्रत्येक माह के अंतिम दस दिनों के अंदर अपनी वेबसाइट और AMFI वेबसाइट पर अपडेट किया हुआ रिस्क-ओ-मीटर और पोर्टफोलियो की जानकारी दर्शाएंगे।

1. प्रभाव लागत इस बात पर निर्भर करती है कि बड़ी खरीदारी या बिक्री होने पर स्टॉक की कीमत में कितना बदलाव आता है।
2. क्रेडिट रिस्क उधारकर्ता के डिफॉल्ट करने की संभावना दर्शाता है।
3. लिक्विडिटी रिस्क बाजार में डिमांड के कारण मैच्योरिटी से पहले बॉन्ड को बेचने की क्षमता है।

डिस्क्लेमर

म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।

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