म्यूचुअल फंड में यह अक्सर सुना जाता है कि, ‘जितना अधिक जोखिम, उतना अधिक प्रतिफल’। क्या यह सत्य है?a
यदि ‘जोखिम’ को पूंजी की हानि की संभाव्यता या निवेश मूल्य में उतार-चढ़ाव और अस्थिरता के रूप में मापा जाता है तो परिसंपत्ति वर्गों जैसे एक्विटी निसंदेह सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और बचत खाता या सरकारी बॉन्ड में रखा धन निसंदेह सबसे कम जोखिम होता है।
म्यूचुअल फंड जगत में लिक्विड फंड सबसे कम जोखिम वाला और इक्विटी फंड सबसे अधिक जोखिम वाला होता है।
इसलिए, इक्विटी में निवेश करने का एकमात्र कारण उच्चतर लाभ हासिल करने की अपेक्षा होगी। हालांकि उच्चतर प्रतिफल उनको मिलता है जो धैर्य अपना कर, दीर्घ समयावधि के साथ सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद इक्विटी में निवेश करते हैं। वास्तव में इक्विटी में जोखिम को विविधीकरण अपनाने के साथ-साथ दीर्घ समयावधि को अपना कर कम किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड योजनाओं की प्रत्येक श्रेणी में भिन्न-भिन्न प्रकार के जोखिम शामिल होते हैं जैसे- क्रेडिट जोखिम, ब्याज दर जोखिम, तरलता जोखिम, बाजार/मूल्य जोखिम, व्यापार जोखिम, ईवेंट जोखिम, विनियामक जोखिम आदि। आपके म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर/निवेश सलाहकार और फंड मैनेजर जैसे फाइनेंशियल एक्सपर्ट का ज्ञान, और डायवर्सिफिकेशन के साथ, उन्हें न्यूनतम करने में मदद कर सकते हैं।