आइये बैलेन्स्ड फंड पर विचार करें, जिसका लक्ष्य इक्विटी वाले भाग से वृद्धि व पूंजीगत लाभ देना और डेब्ट वाले हिस्से से आय व स्थिरता देना है। इस योजना में फिर भी काफी जोखिम होता है, क्योंकि इसका इक्विटी वाला हिस्सा 60% तक हो सकता है। यह केवल उन निवेशकों को अनुशंसित किया जाता है जिनके पास अच्छी जोखिम सहन शक्ति व लंबी समयावधि है।
ऐसी योजना की फंड मैनेजमेंट टीम आदर्श रूप में केवल ऐसे लंबी अवधि के निवेशकों को पसंद करेगी जो लंबी समयावधि, लगभग 3 वर्ष के लिए निवेशित रहने के इच्छुक हैं। इसलिए ऐसा फंड 3 वर्ष से पहले सभी रिडम्पशनों पर 1% का निकासी भार लगा सकता है। ऐसे मामले में यह फंड सीधे तरलता को प्रभावित नहीं करता है, बल्कि निवेशकों को 3 वर्ष की अवधि से पहले निकास करने से हतोत्साहित करता है।
इस योजना के लिए लाभ इस तथ्य पर आधारित होता है कि सभी निवेशक लंबी समयावधि से संरेखित हैं। यह फंड मैनेजर के लिए एक आरामदायक कारक होगा, जो उसे इस विचार को दिमाग में रखते हुए, प्रतिभूतियों का चुनाव करने में सक्षम करेगा। फंड मैनेजर के दृष्टिकोण से ऐसी रणनीति बेहतर फंड प्रदर्शन सक्षम करेगी, क्योंकि कोई भी निवेशक लघु अवधि का नहीं होगा और दीर्घकालीन रणनीति को प्रभावित करने वाले रिडम्पशन भी न होंगे।