म्यूचुअल फंड चुनना बहुत उलझन भरा है?

म्यूचुअल फंड चुनना बहुत उलझन भरा है?

ये सही है कि कई तरह की म्यूच्यूअल फंड योजनायें उपलब्ध हैं –इक्विटी, डेब्ट, मुद्रा बाज़ार, हाइब्रिड (वर्ण संकर) आदि और भारत वर्ष में ऐसे बहुत सारे म्यूच्यूअल फंड्स हैं जो आपस में सैंकड़ों योजनाओं का प्रबंधन करते हैं| इसी वजह से ऐसा प्रतीत होता है कि किसी योजना विशेष पर लक्ष्य साधना जटिल और भ्रामक कार्य है|

निवेश हेतु निवेशक द्वारा योजना का चुनाव, उसके ज़हन में आने वाली आखिरी बात होनी चाहिए| इसके पूर्व ऐसे कई और महत्वपूर्ण कदम हैं, जिनके ज़रिये भविष्य के कई भ्रम दूर हो सकते हैं|

सर्वप्रथम एक निवेशक के पास निवेश हेतु उद्देश्य होना ज़रूरी है, मसलन सेवानिवृत्ति योजना या गृह नवीनीकरण कार्य| उसे दो आंकड़ों की ज़रुरत होती है –कितनी लागत आएगी और कितना वक़्त लगेगा, साथ इसके ये जानकारी भी कि कितना जोखिम उठाया जा सकता है|

दूसरे शब्दों में, निवेशक के उद्देश्य, ध्येय और जोखिम उठाने की क्षमता को मद्देनज़र रख, एक विशेष प्रकार के फंड की सिफारिश की जाती है| मान लीजिये इक्विटी या डेब्ट या फिर हाइब्रिड और तदनुसार, पिछली उपलब्धियों, सटीक पोर्टफोलियो आदि के बल पर योजना विशेष का चयन होता है|

निष्कर्ष यही, प्रारंभ में ही अगर निवेश उद्देश्य को लेकर स्पष्टता होगी, आगे चलकर फंड के चयन को लेकर उतनी ही कम भ्रामक स्थिति होगी|
 

292