यद्यपि दोनों ही आपके निवेश निर्णय में मदद के लिए हैं, जिनमें म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम का चुनाव भी शामिल है, तथापि, जैसा की नाम से विदित है, म्यूच्यूअल फंड वितरक म्यूच्यूअल फंड उत्पादों पर ही तवज्जो देता है और निवेश सलाहकार के पास प्रस्तावित सेवाएं और उत्पाद ज़्यादा हैं|
इसका फिर क्या यह मतलब हुआ कि म्यूच्यूअल फंड वितरक कमिशन कमाने के लिए कोई भी म्यूच्यूअल फंड स्कीम निवेशकों को बेच देते हैं? इस मामले में अधिनियम बड़े सख्त हैं| अगर म्यूच्यूअल फंड वितरक ऐसी म्यूच्यूअल फंड योजना बेचता है जो निवेशक के लिए उपयुक्त नहीं है, इसे ‘मिस- सेलिंग’ माना जाएगा, जो अपराध है|
जहां एक म्यूच्यूअल फंड वितरक के लिए ज़रूरी है कि वह समझे निवेशक की स्थिति को/उसके जोखिम उठाने की क्षमता को और फिर उसकी ज़रूरतों को ध्यान में रख सही उत्पाद प्रस्तावित करे, वहीं दूसरी तरफ निवेशक सलाहकार का चित्र व्यापक है, जिसमें निवेशक के परिसंपत्ति का मूल्यांकन, दायित्व, आमदनी, व्यय और प्रस्तावित उत्पाद आदि शामिल हैं|
दोनों ही पंजीकृत संस्थाएं हैं और इसलिए विनियमित भी| जहां निवेश सलाहकार सीधे SEBI के साथ पंजीकृत हैं, म्यूच्यूअल फंड वितरक AMFI के साथ पंजीकृत हैं– एसोसिएशन ऑफ़ म्यूच्यूअल फंड्स इन इंडिया, जो म्यूच्यूअल फंड्स उद्योग का संघ (एसोसिएशन) है|