अलग लोगों की अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड मौजूद हैं। मोटे तौर पर ये तीन प्रकार के होते हैं।
- इक्विटी या ग्रोथ फंड्स
- ये अधिकांश रूप से इक्विटी अर्थात कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं
- इनका मूल्य उद्देश्य संपदा निर्माण या पूंजी वृद्धिहोता है।
- उनमें उच्च लाभ देने की अच्छी संभावनाएं होती हैं और दीर्घकालीन निवेश के लिए वे सर्वश्रेष्ठ हैं।
- उदाहरण के लिए
- “लार्ज कैप” फंड वे हैं जो उन कंपनियों में प्रमुखता से निवेश करते हैं जो वड़े स्थापित व्यवसाय वाली हैं
- “मिड कैप” फंड जो मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करते हैं।
- “स्मॉल कैप” फंड जो छोटे आकार की कंपनियों में निवेश करते हैं
- “मल्टी कैप” फंड जो बड़ी, मध्यम व छोटी कंपनियों के मिश्रण में निवेश करते हैं।
- “सेक्टर” फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं तो एक प्रकार के व्यवसाय से संबंधित होती हैं। जैसे प्रौद्योगिकी फंड वे हैं जो प्रोद्योगिकी कंपनियों में ही निवेश करते हैं
- “थेमेटिक” फंड वे हैं जो साझा थीम में निवेश करते हैं। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जो उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट की वृद्धि से लाभ हासिल करती हैं
- कर-बचत फंड
- आय या बॉन्ड या नियत आय फंड
- ये नियत आय प्रतिभूतियों जैसे सरकारी प्रतिभूतियां या बॉन्ड, कॉमर्शियल पेपर या डिबेंचर, डिपॉज़िट के बैंक सर्टीफिकेट और ट्रेजरी बिल, कॉमर्शियल पेपर जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।
- ये तुलनात्मक रूप से सुरक्षित निवेश होते हैं और आय निर्माण के लिहाज से उपयुक्त होते हैं।
- लिक्विड, लघु अवधि, फ्लोटिंग दर, कारपोरेट ऋण, डायनामिक बॉन्ड, गिफ्ट फंड आदि उदाहरण हो सकते हैं।
- हाइब्रिड फंड
- ये इक्विटी और नियत आय दोनो में निवेश करते हैं, इस प्रकार से ये वृद्धि संभावनाओं के साथ-साथ आय निर्माण का सर्वश्रेष्ठ प्रदान करते हैं।
- एग्रेसिव बैलेन्स्ड फंड, कंसरवेटिव बैलेन्स्ड फंड, पेंशन फंड, चाइल्ड प्लान और मासिक आय योजना आदि इसके उदाहरण हैं।
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