लम्बी अवधि के निवेश का मुख्य ध्येय (लक्ष्य) भविष्य में आने वाले खर्चों जैसे कॉलेज की पढ़ाई, घर, और सेवानिवृत/ रिटायरमेंट को पूरा करना है इसलिए एक ऐसे फण्ड का चुनाव ज़रूरी है जो पूँजी / संपत्ति सृजन में सहायता करते हैं| लम्बी अवधि के लक्ष्य १० या उससे अधिक की समय काल को लेकर होते हैं इसलिए इनके लिए इक्विटी ओरिएंटेड स्कीम्स( >=६५% इक्विटी आवंटन) लम्बी अवधि के निवेश के लिए बढ़िया चुनाव साबित होते हैं| इक्विटीज में वृद्धि की संभावना अधिक होती है यद्यपि छोटी अवधि में ये हाइब्रिड और डेब्ट फंड्स की तुलना में ज्यादा अस्थिर साबित हुए हैं| एक अच्छी – खासी विविधता लिए इक्विटी फण्ड में लम्बी अवधि में स्थायी वृद्धि की सम्भावना अधिक होती है|
ऐसे फंड्स चुनिए जिनमें जोखिम समायोजित रिटर्न / रिस्क ऐडजस्टेड रिटर्न ऊंचा है (शार्पे रेश्यो) याने की, ऐसे फंड्स जो सामान जोखिम में बेहतर रिटर्न/ प्रतिफल देते हैं| कोम्पौन्डिंग के असर की वजह से लम्बी अवधि में खर्चे की दर का (एक्सपेंस रेश्यो) फण्ड के प्रतिफल पर असर पड़ता है| ऐसे फंड का चुनाव करें जिनका खर्चे का दर कम हो, जिससे की आपके पास निवेश के लिए अधिक फंड उपलब्ध होंगे जो लम्बी अवधि में आपके प्रतिफल को बढ़ाएंगे| फंड प्रबंधक (मेनेजर) के पिछली उपलब्धियों पर नज़र डालिए, किस प्रकार के बेहतर नतीजे उन्होंने दिखाए हैं, किस प्रकार के फंड्स का प्रबंधन उन्होंने किया है जिसकी बदौलत उनका प्रदर्शन उनके सहकर्मियों (पीअर्स) से बेहतर रहा है| आप लम्बी अवधि के ऊंचे बीटा वाले फंड्स का भी चुनाव कर सकते हैं, जो बाज़ार की तुलना में फायदा और नुकसान दोनों ज्यादा देते हैं, चूंकि बाज़ार का रुझान ज़्यादातर ऊपर की ओर ही रहता है, इसलिए ऊंचा बीटा का अर्थ आपके फंड ने बाज़ार की तुलना में लम्बी अवधि में ज्यादा फायदा कमाया है|