KYC “नो योर कस्टमर” का संक्षिप्त रूप है और इसे किसी भी वित्तीय कंपनी के खाता खोलने की प्रक्रिया में ग्राहक पहचान विधि स्वरुप इस्तेमाल किया जाता है| KYC ग्राहक की पहचान और पता प्रासंगिक सहायक दस्तावेजों के ज़रिये सिद्ध करता है मिसाल के तौर पर निर्धारित फोटो ID (PAN कार्ड, आधार कार्ड) पते का सबूत और इन-पर्सन वेरिफिकेशन (IPV). प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉनडेरिंग एक्ट (धन शोधन निवारण एक्ट) २००२ के तहत KYC अनुपालन अनिवार्य है, और एक्ट के अंतर्गत नियम SEBI मास्टर सर्कुलर के साथ, एंटी मनी लॉनडेरिंग (AML) स्टैंडर्ड्स/कोम्बटिंग फिनांशिअल टेररिज्म (CFT)/ओब्लिगेशंस ऑफ़ सिक्योरिटीज मार्किट इंटरमिडियरीस पर पढ़े जाते हैं|
नो योर कस्टमर (KYC) साधारणतः दो भागों में विभक्त है:
प्रथम भाग में निवेशक के बुनियादी और समरूप KYC विवरण दर्ज होते हैं जैसा सेंट्रल KYC रजिस्ट्री द्वारा निर्धारित किया गया है (यूनिफार्म KYC) जिसे समस्त पंजीकृत वित्तीय मध्यवर्ती संस्थाएं इस्तेमाल करती हैं और
द्वितीय भाग में अतिरिक्त KYC जानकारी होती है जिसकी मांग वित्तीय संस्थाएं जैसे म्यूच्यूअल फंड, स्टॉक ब्रोकर, डिपाजिटरी भागीदार जो निवेशक का खाता खोलता है, अलग अपनी पुष्टि हेतु मांगी जाती है (अतिरिक्त KYC)