इंडेक्स फंड्स और उनसे जुड़े जोखिम

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इंडेक्स फंड्स पेसिव तौर पर मैनेज किए जाने वाले म्यूचुअल फंड्स होते हैं जो किसी ख़ास मशहूर इंडेक्स को बस कॉपी कर लेते हैं जैसे सेंसेक्स या निफ्टी। हालांकि सक्रिय तौर पर संचालित फंडों की तुलना में इंडेक्स फंड्स में अपेक्षाकृत कम मार्केट रिस्क होता है, मगर फंड मैनेजर के पास बाजार के उतार-चढ़ाव को मैनेज करने की सीमित क्षमता होती है क्योंकि फंड के इंडेक्स में सारी सिक्योरिटीज उसी अनुपात में होनी चाहिए। मार्केट के इन उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के लिए वो ना तो कम कीमत वाले स्टॉक खरीद सकता/ सकती है और ना ही बढ़ी कीमत वाले स्टॉक बेच सकता/ सकती है। 

क्योंकि इंडेक्स फंड्स ख़ास मार्केट इंडेक्सों को ही ट्रैक करते हैं, उनके पास विशिष्ट मार्केट सेगमेंट की जानी-मानी सिक्योरिटीज के पोर्टफोलियो होते हैं, जैसे बड़ी, छोटी और मल्टी कैपिटल वाली कंपनियां, बैंकिंग स्टॉक, कॉर्पोरेट बॉन्ड आदि। इस तरह, वे निवेशक के चुनाव के विकल्पों को सीमित कर देते हैं। 

मार्केट इंडेक्स को कॉपी करने के बावजूद, ट्रैकिंग एरर के कारण ये फंड्स मार्केट इंडेक्स जितना रिटर्न(मुनाफ़ा) नहीं देते हैं। मार्केट इंडेक्स के संगठन में किसी भी बदलाव पर कोई लागत नहीं लगती यानी इसमें किसी सिक्योरिटीज के जोड़े जाने पर या हटाए जाने पर। इंडेक्स फंड को अपने पोर्टफोलियो को इंडेक्स का प्रतिरूप बनाने के लिए ट्रांसैक्शन कॉस्ट देना पड़ता है। साथ ही, इसमें कुछ समय का अंतराल हो सकता है जब शेयरों या किसी इंडेक्स में अलग-अलग शेयरों की हिस्सेदारी में कुछ बदलाव होता है। इससे इंडेक्स फंड का रिटर्न (मुनाफ़ा) उसके इंडेक्स के रिटर्न (मुनाफ़े) की तुलना में कम हो जाता है। 

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