म्यूचुअल फंड्स से रिटर्न्स इस पर निर्भर करते हैं कि वह किस प्रकार का निवेश करता है, और उस निवेश से किस तरह के जोखिम जुड़े हैं। केक का स्वाद समोसे से अलग होता है क्योंकि दोनों की सामग्री भिन्न होती है और उन्हें अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है। उसी प्रकार, इक्विटी और डेट फंड्स, अपने पोर्टफोलियो की प्रतिभूतियां और उन प्रतिभूतियां द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले रिटर्न के आधार पर अलग-अलग प्रकार के रिटर्न की पेशकश करते हैं।
डेट फंड्स ब्याज का भुगतान करने वाली प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जैसे बॉन्ड्स, डिबेंचर्स और मुद्रा बाज़ार के साधन। ये प्रतिभूतियाँ इन म्यूचुअल फंड्स को नियमित अंतरालों पर नियत ब्याज का भुगतान करने का वादा करती हैं। इनकी दर बाज़ार में प्रचलित कर्ज़ की दरों से बारीकी से जुड़ी होती है। चूँकि इन प्रतिभूतियों के जारीकर्ता अपना वादा पूरा करने में विफल हो सकते हैं, वे ऐसे निवेश में जोखिम की भरपाई के रूप में कर्ज़ की मौजूदा दरों से ज़्यादा मीयादी ब्याज का भुगतान करने का वादा करते हैं। किसी नई कंपनी की तुलना में एक सुस्थापित कंपनी की अपने बॉन्ड्स पर कम ब्याज (कम जोखिम प्रीमियम) प्रदान करने की संभावना होती है क्योंकि नई कंपनी के मुकाबले उसके बॉन्ड्स की क्रेडिट रेटिंग अधिक होती है।
किसी निवेश से रिटर्न सीधे तौर पर उसमें शामिल जोखिम से जुड़ा होता है। आम तौर पर डेट सिक्योरिटीज़ को इक्विटीज़ से कम जोखिमभरा माना जाता है। इसलिए, इक्विटी फंड्स के मुकाबले कम जोखिम वाले निवेश, जैसे डेट फंड्स, कम रिटर्न प्रदान करेंगे।