डायरेक्ट प्लान रेगुलर प्लान से अलग कैसे है?

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मान लीजिए आप छुट्टियों में मालदीव जाने का प्लान कर रहे हैं और आपको उस जगह के बारे में ज़्यादा पता नहीं है। आप अपनी ट्रिप कैसे प्लान करेंगे? आप या तो किसी ट्रैवल एजेंट को कॉल कर अपनी ट्रिप बुक करेंगे या फिर होटल्स, घूमने की जगहों और कैसे आना-जाना है आदि पर रिसर्च करने में घंटो बिताएंगे और आख़िरकार अपना ट्रेवल प्लान बनाकर, बुकिंग करेंगे। दोनों में अंतर ये है कि एक में आप बुकिंग के लिए किसी से मदद ले रहे हैं बल्कि दूसरे में सबकुछ आप खुद कर रहे है।

डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में भी ठीक इसी प्रकार का अंतर है। जब आप किसी डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तब आपके पैसे को रेगुलर प्लान में निवेश किया जाता है। जब आप सीधे किसी फंड से निवेश करते हैं, तब आपका पैसा उस स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश होता है। जबकि दोनों प्लान्स आपको एक ही स्कीम और पोर्टफोलियो तक एक्सेस देते हैं, उनमें केवल NAV और एक्सपेंस रेश्यो का अंतर होता है। क्योंकि रेगुलर प्लान के केस में आपको डिस्ट्रीब्यूटर को कमीशन देना होता है, इसलिए रेगुलर प्लान का एक्सपेंस रेश्यो डायरेक्ट प्लान से ज़्यादा होता है। जिस कारण एक ही स्कीम के लिए रेगुलर प्लान का NAV डायरेक्ट प्लान की तुलना में कम होता है।

जो निवेशक आसानी से रिसर्च कर सकते हैं और अपने निवेश पोर्टफोलियो को खुद मैनेज कर सकते हैं, वे डायरेक्ट प्लान चुन सकते हैं नहीं तो रेगुलर प्लान ज़्यादा सही विकल्प है।

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