टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई), इक्विटी इंडेक्स का आंकलन करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसी इंडेक्स का टोटल रिटर्न वेरिएंट (टीआरआई) उन सभी डिविडेंड/ब्याज भुगतानों को ध्यान में रखता है, जो कैपिटल गेन के अलावा इंडेक्स बनाने वाले घटकों से पैदा होते हैं। इसलिए, टीआरआई एक बेंचमार्क के रूप में म्यूचुअल फ़ंड स्कीम के मुक़ाबले ज़्यादा सही है।
टीआरआई की खास विशेषताएं हैं:
सेबी मैंडेट: 2018 में, सेबी ने म्यूचुअल फ़ंड की परफॉर्मेंस का आंकलन करने के लिए टीआरआई का इस्तेमाल ज़रूरी कर दिया। अब म्यूचुअल फ़ंड को अपना परफॉर्मेंस, प्राइस रिटर्न इंडेक्स (पिछले तरीके) के बजाय टोटल रिटर्न इंडेक्स के आधार पर करना होगा, जो सिर्फ़ कैपिटल की बढ़त पर आधारित है। इसका अनिवार्य होना ना सिर्फ़ निवेशकों का भरोसा बढ़ाता है, बल्कि इंडस्ट्री स्टैंडर्ड को भी बनाए रखता है।
इनकॉर्पोरेट डिविडेंड: इस इन्कम में स्टॉक डिविडेंड, बॉन्ड से ब्याज और बेंचमार्क इंडेक्स के तहत दूसरे इन्कम सोर्स शामिल हैं।
फिर से निवेश: टीआरआई मानता है कि जनरेट हुई कोई भी इन्कम, जैसे डिविडेंड, को इंडेक्स में फिर से निवेश किया जाता है।
निवेशक पारदर्शिता: यह फ़ंड के परफॉर्मेंस का सही और स्पष्ट दृष्टिकोण देता है। यह समय-समय पर स्कीम की ग्रोथ और परफॉर्मेंस जांचने के लिए एक गाइडिंग रेफरेंस का काम करता है।
लंबे समय के लक्ष्य: टीआरआई लंबे समय तक फ़ंड की जांच करने के लिए सही है।
अस्वीकरण
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