“क्या सारे म्यूच्यूअल फंड एक से नहीं हैं? आखिरकार, म्यूच्यूअल फंड ही तो हैं, नहीं?” गोकुल का प्रश्न है| उसका मित्र जो म्यूच्यूअल फंड वितरक है, मुस्कुरा देता है| ऐसे जुमलों से उसका बहुत बार वास्ता पड़ चुका है|
अधिकतर लोग इस गलत धारणा के शिकार हैं कि सारे म्यूच्यूअल फंड्स एक सामान हैं| फंड्स विविध प्रकार के हैं जिनमें मुख्यतः इक्विटी और डेब्ट फंड हैं| इन दोनों का फर्क इस बात पर निर्भर है कि रकम कहाँ निवेशित है| डेब्ट फंड्स जहां सावधि आय प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं, इक्विटी फंड्स इक्विटी या इनसे सम्बंधित प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं| इक्विटी और सावधि आय प्रतिभूतियों की विशेषताएं भिन्न है जो ये निर्धारित करती हैं कि सम्बंधित स्कीम किस तरह का बर्ताव करते हैं या पेश आते हैं|
हर निवेशक की आवश्यकता अलग है| किसी को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए ऊंचे प्रतिदान/ लाभ की ज़रुरत है वहीं ऐसा निवेशक भी है जो जोखिम नहीं उठाना चाहता है| किसी निवेशक का लम्बी अवधि का लक्ष्य है तो कोई मध्यम या छोटी अवधि का लक्ष्य लिए है| एक निवेशक को निश्चित रूप से लम्बी अवधि के लिए इक्विटी फंड और छोटी और माध्यम अवधि के लिए डेब्ट फंड्स का चुनाव करना चाहिए| इक्विटी फंड्स ऊंचे लाभ प्रदान करने की क्षमता ज़रूर रखते हैं पर साथ जोखिम लिए होते है, वहीं दूसरी और डेब्ट फंड अपेक्षाकृत स्थाइत्व लिए होते हैं हालांकि लाभ, साधारण से कम की श्रेणी में होता है|
इक्विटी और डेट फंड में क्या अंतर है?
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