आर्बिट्रेज फंड्स हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स होते हैं जो अलग-अलग पूंजी बाजारों में एक ही अंतर्निहित एसेट के लिए क्रय-विक्रय(आर्बिट्रेज) के अवसरों का फायदा उठाना चाहते हैं। आर्बिट्रेज का मतलब है एक ही एसेट के मूल्य अंतर का लाभ उठाना, जैसे स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट में।
स्पॉट मार्केट एक ऐसी जगह है जहाँ खरीदार और विक्रेता किसी एसेट के मूल्य पर सहमत होकर, उस समय नकदी के लिए एसेट का आदान-प्रदान करते हैं।इसके विपरीत, फ्यूचर्स मार्केट में, खरीदार और विक्रेता भविष्य की किसी तारीख पर किसी एसेट की कीमत के लिए सहमत होते हैं। इसका मतलब यह है कि वे भविष्य में एक तय तारीख और एक तय कीमत पर एसेट को खरीदने या बेचने के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट कर रहे हैं।
स्पॉट कीमतें वर्तमान समय में आपूर्ति और माँग से तय की जाती हैं। फ्यूचर्स मार्केट में, एसेट की कीमत भविष्य में अपेक्षित आपूर्ति और माँग पर निर्भर करती है।
आर्बिट्रेज फंड्स इक्विटी, डेट और मुद्रा बाजार साधन में क्रय-विक्रय कर सकते हैं। पर मूल्य के अंतर का लाभ उठाने के लिए उन्हें एक साथ दो अलग-अलग बाजारों में एसेट की एक ही मात्रा को खरीदना और बेचना चाहिए।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड/ सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया के निर्देशानुसार, आर्बिट्रेज फंड को अपने फंड का कम से कम 65 प्रतिशत इक्विटी में निवेश करना चाहिए। उन पर इक्विटी साधनों के रूप में भी कर लगाया जाता है।
आर्बिट्रेज फंड्स कैसे काम करते हैं?
आर्बिट्रेज फंड्स दो अलग-अलग बाजारों में एक ही मात्रा में एसेट खरीदते और बेचते हैं और मूल्य अंतर से रिटर्न पा सकते हैं। वे इस सिद्धांत पर काम करते हैं कि बाजार पूरी तरह से प्रभावशाली नहीं हैं, जिसके कारण विभिन्न बाजारों में कीमतों में अंतर होता है।
चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए एक्स कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश मार्केट में 1,000 रुपए है। फ्यूचर्स मार्केट आमतौर पर प्रीमियम पर चलता है। तो, उसी शेयर की कीमत फ्यूचर्स बाजार में 1,030 रुपए हो सकती है।
आप कैश मार्केट में एक्स कंपनी के शेयर 1,000 रुपये में खरीद सकते हैं और इसे फ्यूचर्स मार्केट में 1,030 रुपये में बेच सकते हैं। अब तीन अलग-अलग सिनेरियो हैं जो हो सकते हैं। फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की आखिरी तारीख पर शेयर की कीमत 1,100 रुपये तक जाती है। तब आपको कैश मार्केट में 100 रुपए का लाभ और फ्यूचर्स बाजार में 70 रुपए का नुकसान होगा। ले-देकर, आप फिर भी 30 रुपए का मुनाफ़ा कमाते हैं।
अगर शेयर की कीमत 900 रुपए तक गिर जाती है, तो आपको कैश मार्केट में 100 रुपए का नुकसान होता है पर फ्यूचर्स मार्केट में 130 रुपए का मुनाफ़ा कमाते हैं। आपका मुनाफ़ा फिर से 30 रुपए प्रति शेयर है। अगर कीमतों में बिल्कुल भी बदलाव नहीं होता है, तब भी आप फ्यूचर्स बाजार में 30 रुपए का मुनाफ़ा कमाते हैं। आर्बिट्रेज फंड ठीक यही करते हैं। वे मुनाफ़ा कमाने के मकसद से अलग-अलग बाजारों में कीमतों के अंतर का लाभ उठाते हैं।
आर्बिट्रेज फंड्स के फायदे
- आर्बिट्रेज फंड्स में असल में कोई मूल्य प्राइस रिस्क नहीं होता है। इन फंड्स का इक्विटी एक्सपोजर पूरी तरह से सुरक्षित होता है।
- जब आप आर्बिट्रेज फंड्स में निवेश करते हैं तो प्रतिपक्ष जोखिम भी खत्म हो जाता है क्योंकि एक्सचेंज भुगतान की गारंटी देता है।
- जब बाजारों में उतार-चढ़ाव हो तो आर्बिट्रेज फंड कैश और फ्यूचर्स बाजारों में अलग-अलग पोजीशन लेकर काफ़ी मुनाफ़ा कमा सकता है।
- हाइब्रिड फंड्स होने के बावजूद, इन पर इक्विटी की तरह टैक्स लगता है।
निवेश करने से पहले विचार की जाने वाली बातें
1. जोखिम
हालांकि आर्बिट्रेज फंड्स में संभवत मूल्य या समकक्ष जोखिम नहीं होता है, डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वाले फंड क्रेडिट जोखिम के अधीन हो सकते हैं। इसके अलावा, आर्बिट्रेज फंड्स मंदी वाले बाजारों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं क्योंकि फ्यूचर्स नकद राशि पर छूट पर क्रय-विक्रय कर सकता है।
2.रिटर्न
आर्बिट्रेज फंड्स बेहतर रिटर्न देते हैं। अगर आप कम से मध्यम अवधि में पैसा बनाना चाहते हैं तो वे निवेश के लिए बिल्कुल सही विकल्प हैं। हालांकि, बाजार से जुड़े अन्य साधनों की तरह इसमें भी मुनाफ़े की कोई गारंटी नहीं है।
3. निवेश अवधि
आर्बिट्रेज फंड्स 3 से 6 महीने तक के लिए निवेश करने वाले निवेशकों के लिए सबसे सही हैं।
4. निवेश राशि
सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान की बजाय आर्बिट्रेज फंड में एकमुश्त राशि निवेश करना बेहतर है।
5. योजना प्रस्ताव दस्तावेज:
आर्बिट्रेज फंड में निवेश करने से पहले, योजना प्रस्ताव दस्तावेज़ को ध्यान से पढ़ना ज़रूरी है। दस्तावेज़ में निवेश के उद्देश्य, निवेश रणनीति, जोखिम, एसेट एलोकेशन और फंड से जुड़े शुल्क के बारे में अहम जानकारी दी गई है।
6. एसेट एलोकेशन:
जैसा कि पहले बताया गया है, आर्बिट्रेज फंड्स इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में मिलकर निवेश करते हैं। फंड के एसेट एलोकेशन को और यह जानना ज़रूरी है कि यह आपके निवेश लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता का कैसे साथ देता है।
7. मैनेजमेंट शुल्क:
सभी म्यूचुअल फंड्स की तरह, आर्बिट्रेज फंड्स फंड के मैनेजमेंट के लिए शुल्क लेते हैं। यह शुल्क मैनेजमेंट के तहत एसेट के प्रतिशत के रूप में लिया जाता है और फंड से मिले रिटर्न में से काटा जाता है। फंड द्वारा वसूले जाने वाले मैनेजमेंट शुल्क और यह आपके रिटर्न को कैसे प्रभावित करता है, यह जानना बेहद ज़रूरी है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, आर्बिट्रेज फंड में निवेश करना उन निवेशकों के लिए सही विकल्प हो सकता है जो कम जोखिम, मध्यम स्तर का रिटर्न देने वाले निवेश की तलाश में हैं। पर आर्बिट्रेज फंड में निवेश करने से पहले निवेश के उद्देश्य, एसेट एलोकेशन, मैनेजमेंट शुल्क, जोखिम और ट्रैक रिकॉर्ड पर सावधानीपूर्वक विचार करना बेहद ज़रूरी है। अगर आर्बिट्रेज फंड को लेकर आपके मन में कोई संदेह है, तो ज़्यादा स्पष्टता के लिए अपने वित्तीय सलाहकार से ज़रूर बात करें।
अस्वीकरण:
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।