म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड उन सेक्यूरिटीज़ में निवेश करते हैं जो अलग-अलग मार्केट में लेन-देन करते हैं जैसे स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड या दूसरी एसेट क्लासेस। किसी भी बिकाऊ सेक्युरिटी पर स्वाभाविक तौर पर बाज़ार (मार्केट) रिस्क का असर होता है, मतलब सेक्युरिटी की कीमत बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अधीन होती है। इंटरेस्ट रेट में बदलाव बॉन्ड की कीमत पर उल्टा असर डालता है और साथ ही डेट फंड के NAVs पर भी। इसलिए, डेट फंड सबसे ज़्यादा इंटरेस्ट रिस्क का सामना करते हैं।

उनमें क्रेडिट रिस्क (बॉन्ड जारीकर्ता के डिफॉल्ट होने का जोखिम) भी होता है। कुछ नियमित इनकम देने वाले डेट फंड्स पर महंगाई का असर भी पड़ता है मतलब उनका दिया गया मुनाफा निवेशक द्वारा अनुभव की गई महंगाई की भरपाई नहीं कर पाते हैं। इक्विटी फंड्स बाजार जोख़िम का सामना करते हैं क्योंकि वे मार्केट में स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश करते हैं और स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव इन फंडों के NAV पर असर डालते हैं। कुछ सेक्यूरिटीज़ की बाजार में बार-बार खरीद-बिक्री की जाती है जबकि दूसरों की नहीं। अगर म्यूचुअल फंड ने आपके पैसे किसी ऐसी सेक्यूरिटीज़ में निवेश किए हैं जिनकी अक्सर खरीद-बिक्री नहीं की जाती है, तो फंड के लिए सही समय पर सही कीमत में सेक्युरिटी को खरीदना या बेचना मुश्किल हो सकता है।

यह लिक्विडिटी रिस्क है जो फंड के पोर्टफोलियो के अंदर लेनदेन की कीमत बढ़ा देता है, जिससे आपके फंड के NAV पर असर पड़ता है इसलिए म्यूचुअल फंड से जुड़े रिस्क (जोख़िम) निवेश किए गए एसेट के प्रकार पर निर्भर करते हैं।

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