अगर आप सोच रहे हैं कि क्या मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड एक ही चीज़ है, तो आपको पक्का अक्टूबर 2017 में जारी किया गया SEBI का प्रोडक्ट कैटिगराइजेशन सर्कुलर देखना चाहिए जो जून 2018 में लागू हुआ था। ये दो अलग-अलग प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड्स हैं जो अलग-अलग तरह की कंपनियों में निवेश करते हैं, उनके बाजार के आकार पर, और इसलिए उनका अलग-अलग जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल होता है।
भारत में अलग-अलग एक्सचेंजों पर कई सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियां हैं। मिड-कैप बाजार कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर 101 वीं से 250 वीं कंपनी को रेफर करता है (बाजार कैपिटलाइज़ेशन = सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों की संख्या * हर शेयर की कीमत), जबकि बाजार कैपिटलाइज़ेशन में 251 वीं कंपनी से लेकर आगे तक की कंपनियों को स्मॉल कैप कहा जाता है।
एक मिड-कैप फंड उन मिड-कैप कंपनियों में निवेश करता है, जिनमें ज़्यादा विकास की क्षमता होती है, लेकिन उनमें स्मॉल कैप से जुड़े जोखिम नहीं होते हैं क्योंकि ये कंपनियां पहले से ही एक निश्चित स्केल और स्थिरता पा चुकी होती हैं। आप हमारे एक लेख में मिड-कैप म्यूचुअल फंड्स के बारे में ज़्यादा जानकारी पढ़ सकते हैं:
mutualfundssahihai.com/hi/what-are-mid-cap-funds
स्मॉल-कैप फंड उन स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करता है जो फिलहाल ज़्यादा संभावित विकास चरण से गुजर रही हैं, लेकिन उतने ही जोखिम से भी भरी हैं। ज़्यादा स्थिर लार्ज-कैप शेयरों के विपरीत, स्मॉल-कैप शेयर कहीं ज़्यादा अस्थिर हो सकते हैं। इसलिए मिड-कैप फंड्स में लार्ज-कैप की तुलना में ज़्यादा रिटर्न देने की क्षमता होती है जो स्मॉल-कैप फंड कैटेगरी की तरह बहुत जोखिम भरे नहीं होते हैं। लेकिन उनमें अभी भी थोड़ा बहुत जोखिम होता है जो लार्ज-कैप फंड्स की तुलना में ज़्यादा है।
मिडकैप और स्मॉल कैप फंड्स जिस तरह के शेयरों में निवेश करते हैं, उसे देखते हुए मिडकैप और स्मॉल कैप फंड्स दोनों ही कम से मीडियम समय अवधि में जोखिम भरे होते हैं। ये फंड्स युवा निवेशकों के लिए सही होते हैं अगर वे अपने लॉन्ग टर्म गोल जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए योजना बनाना चाहते हैं क्योंकि वे 5-7 साल की समय सीमा में इन फंड्स की अस्थिरता को सहन कर सकते हैं। इस अस्थिरता का कारण यह है कि ब्लूचिप शेयरों के विपरीत, इन फंडों के पोर्टफोलियो में शेयर अभी भी शुरुआती विकास चरण में हैं और ब्लूचिप शेयरों के स्थिर विकास चरण तक नहीं पहुंचे हैं।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि 20 या 30 साल के सारे युवा निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में ये फंड्स रखने चाहिए। मीडियम से ज़्यादा जोखिम में दिलचस्पी ना रखने वाले युवा निवेशक को इनसे बचना चाहिए और इसकी बजाय ज़्यादा स्थिर लार्ज-कैप फंड्स से जुड़े रहना चाहिए या मल्टीकैप फंड्स में निवेश करना चाहिए, जिनका समान रेशो में लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप में एक्सपोजर है।