किसी भी स्टॉक या म्यूच्यूअल फंड्स से अर्जित आय का वितरण लाभांश कहलाता है| पोर्टफोलियो में शामिल सिक्योरिटीज को बेचकर जब फंड मुनाफा कमाती है, म्यूच्यूअल फंड स्कीमें तब लाभांश का वितरण करती हैं|
अधिनियम/ रेगुलेशन के मुताबिक, एक फंड अपने पोर्टफोलियो की सिक्योरिटीज को बेचकर अर्जित मुनाफे पर लाभांश घोषित कर सकता है, या फिर किसी अन्य ब्याज या लाभांश के से होने वाले वर्तमान आय के ज़रिये| ये मुनाफे समकारी आरक्षित लाभांश / डिविडेंड एकुअलाईज़ेशन रिज़र्व में स्थानांतरित / ट्रान्सफर कर दिए जाते हैं और ट्रस्टीज के विवेकानुसार लाभांश घोषित किये जाते हैं|
स्कीम के अंकित मूल्य (FV) के प्रतिशत के रूप में डिविडेंड की घोषणा की जाती है, NAV नहीं। अगर FV प्रति यूनिट रु. 10 है और डिविडेंड दर 20% है, तो डिविडेंड ऑप्शन में हर निवेशक को रु. 2 डिविडेंड मिलता है। हालांकि, डिविडेंड की घोषणा के बाद बराबर राशि से स्कीम की NAV कम हो जाती है। ग्रोथ ऑप्शन के निवेशकों को डिविडेंड प्राप्त करने का अधिकार नहीं है, और इस स्थिति में स्कीम से होने वाला लाभ वापस स्कीम में निवेश कर दिया जाता है। इसलिए, डिविडेंड ऑप्शन की तुलना में ग्रोथ ऑप्शन की NAV बढ़ती है।
1 अप्रैल 2020 के बाद, निवेशकों के पास पहुँचने पर म्यूचुअल फंड स्कीमों के डिविडेंड पर टैक्स वसूला जाता है। डिविडेंड पेआउट का चुनाव करने वाले निवेशकों को अब किसी वित्तीय वर्ष में प्राप्त होने वाली किसी भी डिविडेंड आय पर, खुद पर लागू उच्चतम आयकर दर के मुताबिक टैक्स देना होगा। डिविडेंड के पुनः निवेश का चुनाव करने वाले निवेशकों के टैक्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि वे अपने फोलियो में आवंटित अतिरिक्त यूनिट्स के रूप में लाभ प्राप्त करते हैं।