सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) इस मायने में बराबर हैं कि वे एक फ़िक्स्ड फ्रिक्वेन्सी पर नियमित निवेश करने में मदद करते हैं। हालांकि, उन दोनों का काम अलग-अलग होता है। हम एसआईपी और एसटीपी के बीच अंतर और दोनों को एक-एक करके समझ सकते हैं।
1. एसआईपी: एसआईपी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने का एक तरीका है। इसमें निवेशक समय-समय पर जैसे रोजाना, हफ़्ते, महीने, तीन महीने आदि में म्यूचुअल फ़ंड प्लान में एक तय राशि निवेश करता है। यह म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का एक व्यवस्थित और सही तरीका है।
2. एसटीपी: एसटीपी का अर्थ है, जब कोई निवेशक एक ही फ़ंड हाउस की एक म्यूचुअल फ़ंड स्कीम से दूसरी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में पैसा ट्रांसफर कर सकता है। एसटीपी में, आप पहले से तय टाइम फ्रिक्वेन्सी पर एक म्यूचुअल फ़ंड स्कीम से दूसरे में ट्रांसफर करने के लिए एक राशि तय करते हैं। आमतौर पर निवेशक यह स्ट्रेटेजी तब इस्तेमाल करते हैं, जब उनके पास एकमुश्त राशि होती है, लेकिन उतार-चढ़ाव से बचने के लिए वे धीरे-धीरे निवेश करना चाहते हैं।
इन दोनों की विशेषताएं अलग-अलग हैं इसलिए, हम कुछ साधारण उदाहरणों के जरिए एसआईपी बनाम एसटीपी और उनके काम के बारे में जान सकते हैं।
एसआईपी उदाहरण:
एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने वाले निवेशक को पहले सही म्यूचुअल फ़ंड चुनना होगा, निवेश की फ्रिक्वेन्सी (उदाहरण के लिए, हर महीने) चुनें, वह राशि जो वह निवेश करना चाहता है (जैसे/उदाहरण के लिए, रु.10,000), स्कीम सेटअप करनी होगी और अपने बैंक अकाउंट से चुने गए फ़ंड में ऑटोमेटिक डेबिट चुनना होगा। इससे एसआईपी के जरिए चुने गए म्यूचुअल फ़ंड प्लान में रु.10,000 का निवेश किया जा सकता है।
एसटीपी उदाहरण:
किसी निवेशक के पास रु. 20 लाख की एकमुश्त राशि है - लेकिन निवेशक इक्विटी फंड में एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहता है, क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव है। इसलिए वह कम अवधि के डेट फ़ंड में पूरे बीस लाख का निवेश करता है, जिनमें कम उतार-चढ़ाव होता है। फिर वह फ़ंड के लिए एक एसटीपी सेटअप कर सकता है, जिसमें उसके डेट फ़ंड से पैसा समय-समय पर चुने हुए इक्विटी फ़ंड में ट्रांसफर किया जा सकता है।
एसटीपी सिर्फ़ उसी फ़ंड हाउस की म्यूचुअल फ़ंड स्कीम के साथ सेटअप किए जा सकते हैं। निवेशक एक ही फ़ंड हाउस से दो या दो से ज़्यादा स्कीम के साथ एसटीपी सेटअप कर सकता है। निवेशक को उस डेट फ़ंड में किसी एग्ज़िट लोड की जांच करनी चाहिए, जिसमें एकमुश्त निवेश किया गया है।
अस्वीकरण
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